Sunday, July 20, 2008

अपराध और दंड

पिछले दिनों अपराध और उनकी सजा से संबंधित दो खबरें प्रकाशित हुईं। एक खबर यह थी कि पुलिस ने छह साल के एक बच्चे पर चोरी का केस दर्ज किया और उसे थाने में बंद रखा। कानूनन सात साल से कम उम्र के बच्चे पर आपराधिक मामले नहीं दर्ज किए जा सकते। पुलिस ने इतनी सक्रियता क्यों दिखाई? क्योंकि वह एक गरीब और अनाथ बच्चा था। क्योंकि शिकायत करने वाली महिला हाई प्रोफाइल थी। उसने छोटे से बच्चे के एक छोटे से अपराध (बिजली के स्विच की चोरी) की शिकायत सीधे पुलिस स्टेशन में क्यों की? क्योंकि हाई प्रोफाइल होने के बाद सामाजिक सहिष्णुता खत्म हो जाती है। पुलिस ने बच्चे की उम्र की जांच कराए बिना उसे दस साल का माना, केस दर्ज किया और बच्चे को गिरफ्तार किया। पुलिस की इस लापरवाही का लाभ किसे मिला? उस हाई प्रोफाइल महिला को, जिसके अहंकार की तुष्टि हुई। इसका नुकसान किसे हुआ, उस बच्चे को जो बिना मां-बाप का है और जिसकी कोई अर्थिक या सामाजिक हैसियत नहीं है। ठीक इसके बाद आप उस दूसरी खबर पर नजर डालें, जिसमें अहमदाबाद की एक अदालत ने बीजल जोशी रेप केस में पांच लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई है। यह पांच साल पुराना मामला है, जिसमें एक अमीर व्यापारी के लड़के ने अहमदाबाद में 'न्यू ईयर ईव' पर अपनी 'प्रेमिका' के साथ गैंग रेप किया। उसने ऐसा क्यों किया? क्योंकि उसकी उस पूरी मित्रमंडली के लिए 'प्रेमिका' का यही उपयोग था। इस मामले में केस दर्ज होने के बावजूद अहमदाबाद की पुलिस ने एक हफ्ते तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं की थी। पुलिस की उस निष्क्रियता की क्या वजह थी? वजह यह थी कि जिन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था, वे रईस लोग थे। वे होटलों के मालिक थे, वे बंगला, गाड़ी और पैसे वाले थे। ये दो मामले हैं, जिनके बारे में संयोगवश खबरें एक साथ आ गई हैं। हमेशा नहीं, लेकिन ऐसी अनेक घटनाएं हम अपने आसपास देखते हैं, जिनमें कानून-व्यवस्था बनाए रखने वाली एजेंसियां- खास कर पुलिस, ताकतवर या असरदार लोगों के हितों के संरक्षण के लिए काम करती नजर आती है। सब नहीं, पर ऐसी अनेक घटनाएं देखने को मिलती हैं, जिनमें पैसे, पहुंच और अधिकार संपन्न लोग आम नागरिकों की तुलना में ज्यादा बदमिज़ाज और असहिष्णु नजर आते हैं, या कानून तोड़ते नजर आते हैं। आजाद हिंदुस्तान में विकसित हुए ये कैसे मूल्य हैं जिनके अनुसार ताकतवर होने का मतलब है गलत करने की छूट और तंत्र का सिपाही होने का मतलब है ऐसे लोगों की हित रक्षा। जब तक हम इसका जवाब नहीं ढूंढेंगे, हमें असली लोकतंत्र नहीं मिलेगा।

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